Supreme Court questions IMA Why do doctors prescribe expensive medicines of specific brands

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Supreme Court:  पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से भी कड़े सवाल जवाब किए. कोर्ट ने पूछा, एलोपैथी डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां अपने पर्चे में क्यों लिखते हैं. इसके साथ ही नेशनल मेडिकल कमीशन से पूछा कि क्या ऐसे डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान है?

इससे पहले बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान पतंजलि की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि उसने 67 अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा छपवाया है. वह इससे भी बड़े आकार का विज्ञापन प्रकाशित करवाएगा. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला जनहित का है. इसे सिर्फ एक संस्था तक सीमित नहीं रखा जाएगा. वहीं, सुप्रीम कोर्ट का कहना है जब आप माफी मांगते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा.

कोर्ट ने सुनवाई का दायरा किया बड़ा

दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बड़ा कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि भ्रामक विज्ञापन के जरिए अपने उत्पाद बेच कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाली बाकी कंपनियों के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की है. बता दें कि, सुप्रीमकोर्ट अब बाबा रामदेव और बालकृष्ण के मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को करेगी. बाकी के सभी सात बिंदुओं पर 7 मई को सुनवाई होगी.

कोर्ट ने IMA से भी पूछा सवाल

पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि कंपनी ने मॉडर्न मेडिसिन और कोविड-19 वैक्सीन के खिलाफ दुष्प्रचार किया है. इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से पूछा कि एलोपैथी डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां अपने पर्चे में क्यों लिखते हैं. क्या ऐसे डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान है. कोर्ट ने इस मामले में हर राज्य की दवा लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को भी मामले में पक्ष बनाया है. 

SC ने माफीनामे में क्या कहा है? 

सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद की सुनवाई से एक दिन पहले अखबारों में प्रकाशित “छोटी” सार्वजनिक माफी के लिए रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब आप माफी मांगते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा.

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Nilesh Desai
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