Lok Sabha Elections 2024 Mulayam singh Yadav Choudhary Ajeet singh Rivalry Choudhary Charan Singh

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Lok Sabha Elections 2024:  उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने राजनीति के दांव-पेंच अपने सियासी गुरु पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह से सीखे थे. साल 1987 में चौधरी चरण सिंह का निधन हो गया, जिसके बाद लोकदल के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हेमवती नंदन बहुगुणा ने कमान संभाल ली थी.

चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह उस वक्त राज्यसभा से सांसद थे. अजीत सिंह भारतीय लोकदल की कमान अपने हाथों में लेना चाहते थे, लेकिन इस बीच दिक्कत यह थी कि लोकदल के बड़े नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के समर्थन में थे. जिनमें नाथूराम मिर्धा, चौधरी देवीलाल, कर्पूरी ठाकुर और उस वक्त यूपी के तत्कालीन नेता विपक्ष मुलायम सिंह यादव शामिल थे. 

मुलायम और अजीत की राजनीतिक अदावत

भारतीय लोकदल में उस वक्त मुलायम सिंह यादव का एक बड़ा कद था. इस वजह से वो चौधरी अजीत सिंह के राजनैतिक भविष्य की सफलता में भी एक निर्णयक भूमिका में थे. दोनों के इसी समय से रिश्ते बिगड़ने लगे और कहा तो यहां तक जाता है कि अजीत सिंह मुलायम सिंह यादव को नेता विपक्ष की कुर्सी से भी हटाने की कोशिश में लगे थे, जिसकी भनक मुलायम सिंह यादव को लग गई थी. इसके बाद मुलायम ने अपने भाई शिवपाल सिंह यादव को लोकदल के सभी दफ्तरों को कब्जे में लेने का फरमान दे दिया था और फिर सभी दफ्तरों पर शिवपाल यादव का कंट्रोल था.

अजीत सिंह का साम, दाम, दंड, भेद

अजीत सिंह ने मुलायम को नेता विपक्ष की कुर्सी से हटाने के लिए उस वक्त लोकदल के विधायकों से सादे कागज पर साइन ले लिया और बिना समय गंवाए राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के समर्थन का पत्र सौंप दिया. इसके बाद मुलायम सिंह यादव नेता विपक्ष की कुर्सी से हाथ धो बैठे थे.

मुलायम का बदला

मुलायम सिंह यादव ने नेता विपक्ष की कुर्सी गवांने के बाद वीपी सिंह सरकार के समय अजीत सिंह से बदला ले लिया. उस वक्त केंद्र की सत्ता पर वीपी सरकार काबिज थी और तब वीपी सिंह अजीत सिंह को यूपी का सीएम बनना चाहते थे. मुलायम सिंह ने इसके खिलाफ दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों के सामने विरोध कर दिया. कई नेताओं के समझने के बाद भी जब बात नहीं बनी तब विधायकों के वोटिंग से विधायक दल का नेता चुनने पर सहमति हुई.

बाहुबली नेता डीपी सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा ने अजीत गुट के 11 विधायकों को मुलायम गुट में शामिल किया था. वोटों की गिनती में अजीत सिंह को 110 विधायकों का समर्थन मिला वहीं मुलायम सिंह यादव को 115 विधायकों ने वोट दिया, जिसके बाद मुलायम सिंह के सीएम कुर्सी पर बैठने का रास्ता साफ हो चुका था.

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024 Phase 2: 13 राज्यों की 89 सीटों पर 26 अप्रैल को डाले जाएंगे वोट, जानें दूसरे चरण से जुड़ी पूरी डिटेल  


Nilesh Desai
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