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Supreme Court used word pregnant person for pregnant woman know reason case details

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में एक केस के फैसले के दौरान वहां मौजूद लोग उस समय हैरान हो गए, जब कोर्ट ने गर्भवती लड़की के लिए व्यक्ति शब्द का इस्तेमाल किया. पिछले सप्ताह दिए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक गर्भवती महिला के अलावा नॉन-बाइनरी और समलैंगिक भी प्रेग्नेंट हो सकते हैं. 

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, ये मामला एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की के गर्भवती होने से जुड़ा था. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्दीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में एक फैसला सुनाया. तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने अपने पहले के आदेश को वापस ले लिया. जिसमें उन्होंने दुष्कर्म पीड़िता को लगभग 31 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया गर्भवती व्यक्ति का जिक्र?

पीठ ने कहा, “हम गर्भवती व्यक्ति शब्द का इस्तेमाल करते हैं और मानते हैं कि सिजेंडर महिलाओं के अलावा गर्भावस्था का अनुभव कुछ गैर-बाइनरी और ट्रांसजेंडर लोग भी कर सकते हैं. फैसले में गर्भपात पर विस्तार से बताया गया और यह भी कहा गया कि अगर गर्भवती व्यक्ति और उसके अभिभावक की राय में मतभेद है तो नाबालिग या मानसिक रूप से बीमार गर्भवती व्यक्ति की राय ली जानी चाहिए.”

क्या है मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक नाबालिग लड़की बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई थी. इस पर एक मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि वो शारीरिक और मानसिक रूप से गर्भ गिराने के लिए फिट है, लेकिन इस पर कोर्ट की अनुमति मिलनी चाहिए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग के मामले में लड़की की मां के मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था. हालांकि, अब कोर्ट ने इसे पलट दिया है.

पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने 29 अप्रैल को सायन अस्पताल की मेडिकल टीम और माता-पिता से बातचीत की और अपना आदेश वापस लेने का फैसला किया. पीठ ने सायन अस्पताल को यह भी निर्देश दिया कि वह नाबालिग के पहले अस्पताल में भर्ती होने और जब भी उसे जरूरत हो प्रसव के लिए दोबारा भर्ती करने से संबंधित सभी खर्च उठाएं. पीठ ने कहा कि अगर वह और उसके माता-पिता प्रसव के बाद बच्चे को गोद लेने की इच्छा रखते हैं तो राज्य सरकार इसे सुविधाजनक बनाने के लिए कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार सभी आवश्यक कदम उठाएगी.

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