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Lok Sabha Elections 2024 in India supreme court reserved its decision after hearing regarding vvpat pm modi

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (24 अप्रैल) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. उधर, कोर्ट का कहना है कि वह चुनावों के लिए नियंत्रक प्राधिकारी नहीं है. ऐसे में एक संवैधानिक प्राधिकरण चुनाव आयोग के कामकाज को निर्देशित नहीं कर सकता है. 

दरअसल, ये टिप्पणी ईवीएम पर डाले गए वोटों का वीवीपीएटी प्रणाली के जरिए कागजी पर्चियों के साथ सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई. हालांकि, इस मामले में कोर्ट ने फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सवाल किया कि क्या वह महज शक के आधार पर कार्रवाई कर सकती है.

हम आपकी विचार-प्रक्रिया को बदलने के लिए नहीं- सुप्रीम कोर्ट

वहीं, याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की ओर से उठाए गए सवाल के जवाब पर कोर्ट ने कहा कि यदि आप किसी विचार-प्रक्रिया के बारे में पहले से तय करके आए हैं तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते. हम यहां आपकी विचार-प्रक्रिया को बदलने के लिए नहीं हैं. हम ये नहीं कर सकते कि सिर्फ संदेह के आधार पर सुप्रीम ऑर्डर जारी कर दें.’

क्या है मामला?

बता दें कि, ईवीएम मशीन में वोटिंग के बारे में विपक्ष की आशंकाओं के बीच, याचिकाओं में ईवीएम पर डाले गए प्रत्येक वोट को वीवीपैट प्रणाली द्वारा उत्पन्न कागजी पर्चियों के साथ सत्यापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. वर्तमान में, यह क्रॉस-सत्यापन हर विधानसभा क्षेत्र में 5 चयनित ईवीएम के लिए किया जाता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अपनी पिछली सुनवाई में, याचिकाकर्ताओं ने सार्वजनिक विश्वास का मुद्दा उठाया था और यूरोपीय देशों के साथ तुलना की थी. जो मतपत्र मतदान प्रणाली में वापस चले गए हैं. कोर्ट ने ऐसी तुलनाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यहां चुनौतियां अलग हैं. चुनाव आयोग ने अपनी ओर से इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा प्रणाली अचूक है.

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब

आज सुबह जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सुप्रीम कोर्ट ने सिस्टम में माइक्रोकंट्रोलर के बारे में चुनाव आयोग से कुछ स्पष्टीकरण मांगे और कहा गया कि क्या उन्हें फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है. इस पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि तीनों युनिट CU, BU, वीवीपैट के अपने माइक्रो कंट्रोलर होते हैं. इन्हीं में लगे होते हैं. इनमें वन-टाइम प्रोग्राम होता है. सभी माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्राम होते हैं. बनाते समय ही ऐसी व्यवस्था की जाती है कि इन्हें बदला नहीं जा सकता है. इस पर प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि इन माइक्रोकंट्रोलर्स में एक फ्लैश मेमोरी होती है जिसे दोबारा प्रोग्राम किया जा सकता है. इसलिए यह कहना कि उसका माइक्रोकंट्रोलर रिप्रोग्रामेबल नहीं है, सही नहीं है. ऐसा कंप्यूटर एक्सपर्ट भी कहते हैं. 

क्या हम शक के आधार पर आदेश जारी कर सकते हैं?- कोर्ट

इस पर जब प्रशांत भूषण ने कहा कि क्या फ्लैश मेमोरी में किसी दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम को लोड करना संभव है तो सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या हम संदेह के आधार पर सुप्रीम ऑर्डर जारी कर सकते हैं? हम किसी अन्य संवैधानिक प्राधिकार के नियंत्रक प्राधिकारी नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि वह चुनाव कंट्रोल नहीं कर सकते फैसला सुरक्षित रख लिया.

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