भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों पर लंबे समय से बातचीत चल रही थी. ताज़ा रिपोर्टों ने इस चर्चा को और भी रोचक बना दिया है. बताया जा रहा है कि रूस न केवल अपनी अत्याधुनिक Yasen-Class न्यूक्लियर अटैक सबमरीन भारत को लीज पर देने के लिए तैयार है, बल्कि इसके साथ जुड़ी कई महत्वपूर्ण तकनीकों को साझा करने पर भी विचार कर रहा है. अगर यह समझौता अंतिम रूप लेता है तो यह भारतीय नौसेना के लिए अब तक का सबसे बड़ा तकनीकी फायदा होगा.
रूस जिन क्षेत्रों में जानकारी देने पर सहमत बताया जा रहा है, उनमें सबसे अहम है. पनडुब्बियों की स्टील्थ संरचना, उन्नत सेंसर नेटवर्क और हाइपरसोनिक मिसाइलों का एकीकरण. Yasen-Class दुनिया की उन चुनिंदा सबमरीनों में शामिल है जो पानी के भीतर बेहद शांत रहती हैं और लंबी रेंज से कई तरह के हमले कर सकती हैं. यदि इसकी तकनीक भारत तक पहुंचती है तो भविष्य में बनने वाली भारतीय पनडुब्बियां विश्वस्तरीय क्षमताओं के साथ समुद्र में उतरेंगी.
भारत का Project-77 SSN
भारत पहले से ही Project-77 SSN पर काम कर रहा है, जिसके तहत आठ आधुनिक परमाणु पनडुब्बियां तैयार की जा रही हैं. इनमें से दो लगभग तैयार मानी जा रही हैं, जबकि बाकी का निर्माण जारी है. इन सबमरीनों का डिजाइन पूरी तरह भारतीय होगा. लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये की लागत वाला यह प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना को उन देशों की श्रेणी में खड़ा करेगा, जिनके पास उच्च क्षमता वाली SSN फ्लीट है. अगर रूसी तकनीक इस परियोजना से जुड़ती है तो भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.
Yasen-Class क्या है और क्यों इतनी खास मानी जाती है?
मलाखित डिजाइन ब्यूरो की तरफ से तैयार की गई Yasen-Class को रूस की सबसे उन्नत अटैक सबमरीनों में गिना जाता है. लगभग 139 मीटर लंबा यह समुद्री हथियार गहराई में तेज़ गति से चल सकता है और अपने लक्ष्य पर कई प्रकार की मिसाइलें दाग सकता है. इसमें हाइपरसोनिक Zircon, एंटी-शिप Oniks, और लैंड-अटैक Kalibr जैसी मिसाइलें शामिल हैं. साथ ही इसमें दस टॉरपीडो ट्यूब और भारी टॉरपीडो ले जाने की क्षमता है. रूस की नौसेना इसे अपनी सबसे खतरनाक पनडुब्बियों में गिनती है.
पाकिस्तान की पनडुब्बी क्षमता—भारत की तुलना में अभी भी सीमित
भारत जहां न्यूक्लियर पनडुब्बियों की दिशा में बड़े कदम बढ़ा रहा है, वहीं पाकिस्तान का बेड़ा अभी पारंपरिक तकनीक पर आधारित है. The Nuclear Threat Initiative (NTI) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास कुछ Agosta श्रृंखला की डीज़ल–इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं, जिनमें AIP तकनीक का उपयोग होता है. हालांकि चीन पाकिस्तान को आधुनिक Hangor-Class सबमरीनों की आपूर्ति कर रहा है, जो आने वाले वर्षों में उसके बेड़े को मजबूत बनाएंगी, लेकिन यह क्षमता अभी भी भारत की भविष्य की SSN फ्लीट की बराबरी नहीं कर पाएगी.
भारत की ताकत और रूस की तकनीक
Yasen-Class से जुड़ी तकनीक का हस्तांतरण वास्तव में होता है तो भारतीय नौसेना के लिए यह पानी के नीचे वाली युद्ध क्षमता में ऐतिहासिक उछाल होगा. भारत न केवल अधिक शक्तिशाली परमाणु पनडुब्बियां बना पाएगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सामरिक पकड़ को भी और मज़बूत करेगा.
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