<p fashion="text-align: justify;">कनाडा में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ते ही जा रहे है. इस पूरे मामले में अब कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है. दरअसल भारत ने कुछ हफ़्ते पहले ही कनाडा को दिल्ली में अपने उच्चायोग से कर्मचारियों को वापस बुला लेने को कहा था. भारत ने कहा था कि अगर कनाडा ऐसा नहीं करता है तो भारत उन उच्चायुक्तों को दी जाने वाली डिप्लोमैटिक इम्युनिटी यानी राजनयिक सुरक्षा वापस ले लेगी.</p>
<p fashion="text-align: justify;">कनाडा के अधिकारियों ने भारत की इस चेतावनी को ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन’ बताया था. कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से दुनिया के सभी देशों को चिंता करना चाहिए. </p>
<p fashion="text-align: justify;">ऐसे इस रिपोर्ट में जानते हैं कि भारत ने कनाडा से पहले किन किन देशों से अपने राजनयिक वापस बुलाए हैं, उच्चायुक्तों को दी जाने वाली डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी यानी राजनयिक सुरक्षा क्या है और राजनयिकों को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है? </p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>पहले जानते हैं भारत ने किन देशों से बुलाए राजनयिक </robust></p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>पाकिस्तान:</robust> भारत और पाकिस्तान ने समय-समय पर एक-दूसरे के देशों से राजनयिकों को निष्कासित करते रहे है. सबसे हालिया उदाहरण अगस्त 2019 में हुआ. साल 2019 में भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों ने अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया था और जम्मू- कश्मीर की स्थिति में किए गए बदलावों के बाद राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था. इसके एक साल बाद यानी साल 2020 में भी भारत ने पाकिस्तानी दूतावास में कर्मचारियों की संख्या और कम कर दी गई.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>अमेरिका:</robust> साल 2014 के जनवरी महीने में अमेरिका के एक ग्रैंड जूरी ने कथित वीजा धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार भारतीय राजनयिक देवयानी को औपचारिक रूप से आरोपित कर और उन्हें अमेरिका छोड़ने के लिए कह दिया था. जिसके बाद तत्कालीन भारत ने अमेरिका से नई दिल्ली दूतावास से एक राजनयिक को वापस बुलाने के लिए कहा था. </p>
<p fashion="text-align: justify;">उस वक्त भारत और अमेरिका के रिश्ते भी काफी तनावपूर्ण हो गए थे. हालांकि इस पूरे मामले के कुछ महीनों बाद ही देश में <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://www.abplive.com/topic/narendra-modi" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> की सरकार सत्ता में आई और भारत-अमेरिका के रिश्ते एक बार फिर बेहतर हुए.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>फ्रांस:</robust> इसी लिस्ट में एक और पश्चिमी देश का नाम शामिल है जिसके साथ भारत के काफी पुराने और अच्छे संबंध हैं. दरअसल साल 1985 की बात है, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. उस वक्त अचानक पता चला कि पीएमओ में फ्रांसीसी जासूसों ने पैठ बना ली है और यह जासूस इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान ही एक्टिव हो गए थे. ये बात बाहर आयी तो राजनीतिक बवाल मच गया. उस वक्त के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सलमान हैदर ने घोषणा करते हुए कहा कि भारत ने फ्रांसीसी राजदूत सर्ज बोइदेवैक्स को 30 दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">यूपीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि "यह पहली बार था जब इतने उच्च पदस्थ राजनयिक को सैन्य और औद्योगिक दोनों रहस्यों से जुड़ी जासूसी के सिलसिले में भारत छोड़ने के लिए कहा गया था"</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>क्या भारत का कनाडा को चेतावनी देना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन</robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने 41 राजनयिकों को बुलाने के बाद कहा कि भारत ने राजनयिकों को लेकर जिस तरह कार्रवाई की है, वो अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है. ट्रू़डो के अनुसार, भारत सरकार ने अपने देश में 41 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक छूट को रद्द करने फैसला वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है. </p>
<p fashion="text-align: justify;">ट्रूडो ने इस मुद्दे को उठाते हुए अपने एक बयान में कहा, ‘कनाडाई राजनयिकों को लेकर भारत सरकार ने जो कार्रवाई की है वह दोनों देशों के लाखों लोगों के जीवन को कठिन बना रही है. मैं उन लाखों कनाडाई लोगों की खुशी को लेकर चिंता में हूं, जिनका संबंध भारतीय उपमहाद्वीप से है.’ </p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>क्या है वियना कन्वेंशन</robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">वियना कन्वेंशन साल 1961 में राजनयिक संबंधों पर 61 देशों द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतरराष्ट्रीय संधि है. यह संधि आजाद और संप्रभु देशों के बीच राजनयिक बातचीत के लिए एक रूपरेखा तैयार करती है. इस कन्वेंशन का लक्ष्य ‘राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास’ को सुनिश्चित करना है. </p>
<p fashion="text-align: justify;">वियना संधि के अनुसार किसी भी देश के राजनयिकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है. इस संधि के आधार पर ही राजनयिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया. वियना संधि के तहत कुल 54 आर्टिकल हैं और साल 2017 के फरवरी महीने में इस संधि पर दस्तखत कर 191 देशों ने के पालन के लिए अपनी सहमति जताई थी.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>कनाडा ने क्यों बुलाए 41 राजनयिक</robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">कनाडा में भारत के जितने राजनयिक हैं, कनाडा ने भारत में उससे कहीं ज़्यादा राजनयिक तैनात किए है. ऐसे में जब ट्रूडो ने भारत पर निज्जर के हत्या का आरोप लगाया और देशों के रिश्ते तनावपूर्ण होने लगें भारत ने राजनयिकों की संख्या में बराबरी की मांग की थी.</p>
<p fashion="text-align: justify;">आधिकारिक सूत्रों के अनुसार समानता लाने के भारत ने अपने इस फैसले के बारे में कनाडा को लगभग एक महीने पहले अवगत करा दिया था और इसे लागू करने की तारीख 10 अक्टूबर थी, लेकिन इसे 20 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था क्योंकि समानता लागू करने के तौर-तरीकों पर कनाडाई पक्ष से परामर्श से काम किया जा रहा था. </p>
<p fashion="text-align: justify;">सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ‘बेंगलुरु, मुंबई और चंडीगढ़ में कनाडा के वाणिज्य दूतावासों में राजनयिक संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. भारत में अपने तीन वाणिज्य दूतावासों में कामकाज रोकने का कनाडा का फैसला एकपक्षीय है और समानता के क्रियान्वयन से संबंधित है.’</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>वियना कन्वेंशन के उल्लंघन पर भारत ने क्या कहा </robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">भारत ने कनाडा के पीएम के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 41 राजनयिकों की वापसी वियना कन्वेंशन का उल्लंघन नहीं है. कनाडा के राजनयिकों की वापसी दो तरफा राजनयिक समानता संधि के अनुरूप है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, कनाडा कह रहा है कि हमने वियना संधि का उल्लंघन किया है. ये आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं. हमने जो कदम उठाए हैं वो कदम वियना संधि के आर्टिकल 11.1 के मुताबिक हैं. </p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>क्या कनाडा भारत के फैसले का लेगा बदला </robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">कनाडा की विदेश मंत्री ने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत का कनाडाई राजनयिकों को मिलने वाली सुरक्षा हटाने की बात करना ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन’ है. हालांकि उनका देश भारत के इस फैसले के बदले में कोई कार्रवाई नहीं करेगा.</p>
<p fashion="text-align: justify;">विदेश मंत्री ने इसी प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "अगर हम राजनयिक सुरक्षा की परंपरा को तोड़ने दें तो दुनिया में कहीं पर भी कोई राजनयिक सुरक्षित नहीं रहेगा. हम अभी भी कनाडा घूमने या बसने के लिए आने वाले भारतीयों का कनाडा में स्वागत करते है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>क्या है डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी</robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी विदेशी राजनयिकों को मिलने वाले विशेषाधिकारों है. इस इम्युनिटी में स्थानीय कानूनों के दायरे से मिलने वाली छूट भी शामिल है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>अमेरिका ने भी जाहिर की चिंता </robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">इस पूरे मामले में अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर का भी बयान सामने आया है. उन्होंने 41 कनाडाई राजनयिकों के भारत से जाने पर चिंता जताते हुए कहा- हमें उम्मीद हैं कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बरकरार रखेगा. उन्होंने आगे कहा कि कनाडा सरकार की मांग के जवाब में हम उनके राजनयिकों के भारत से जाने से चिंतित हैं. मिलर ने कहा, मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीन पर राजनयिकों की जरूरत होती है.</p>
<p fashion="text-align: justify;"><robust>इस पूरे मामले में अब तक क्या क्या हुआ </robust></p>
<p fashion="text-align: justify;">पूरे मामले की शुरुआत जस्टिन ट्रूडो के बयान से हुई. उन्होंने कनाडा की संसद में कहा कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ हो सकता है.</p>
<p fashion="text-align: justify;">इस बयान के बाद कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया. इसकी जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी कनाडा के शीर्ष राजनयिक को पांच दिनों के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दे दिया. इन फैसलों के बाद भारत कनाडा के बीच के राजनयिक रिश्ते काफी ख़राब हो गए थे.</p>
<p fashion="text-align: justify;">ट्रूडो ने अपने बयान में कहा कि कनाडा ने भारत के साथ निज्जर हत्याकांड से जुड़े ‘पुख्ता आरोप’ साझा किए हैं. हालांकि अब तक सार्वजनिक तौर पर ऐसी कोई भी जानकारी साझा नहीं की गई है. वहीं दूसरी तरफ भारत ने कहा कि निज्जर हत्याकांड में कनाडा की ओर से किसी ‘खास’ या ‘संबंधित’ जानकारी पर भारत गौर करने के लिए तैयार है.</p>
कनाडा से पहले किन देशों के राजनयिकों को जाने के लिए कह चुका है भारत, जानिए क्या हैं इन्हें लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून
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