Lok Sabha Elections 2024 famous story when janta party candidate defeated than pm indira gandhi in raebareli elections of 1977 chunavi kissa

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Lok Sabha Elections Chunavi Kissa: देश में आपातकाल के बाद साल 1977 में पहली बार चुनाव कराए गए थे. स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये वही साल था, जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस साल 1951 से लेकर 1971 तक का चुनाव जीतते रहने के बाद सत्ता से बाहर हुई थी. लोकसभा चुनाव 1977 देश में उस वक्त हुए थे जब भारत आपातकाल का सामना करके निकला ही था. आइए जानते हैं इंदिरा गांधी से जुड़ा ये चुनावी किस्सा.

इस दौर में देश में कांग्रेस के विरोध में बड़ी भयंकर लहर चल रही थी, जिसके लपेटे में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी आ गई थी. वो कांग्रेस का किला कहे जाने वाली रायबरेली लोकसभा सीट से अपने जीवन का पहला और आखिरी चुनाव हार गयी थीं. विरोध इतना था कि कांग्रेस को इस चुनाव में जनता पार्टी ने सीधे तौर पर पटखनी दे दी थी. 

राजनारायण ने इंदिरा के ‘गढ़’ में लगाई थी सेंध

आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी जनता के मन को टटोलने में कामयाब नहीं हो पाई थी और भारी विरोध को समझ नहीं पाई. यही कारण था कि तब इंदिरा गांधी के साथ-साथ उनके बेटे संजय गांधी भी चुनाव हार गए थे. ऐसा पहली बार था जब गांधी परिवार के किसी सदस्य को चुनाव में करारी शिकस्त मिली हो. लोकसभा चुनाव 1977 में इंदिरा गांधी के गढ़ रायबरेली से जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण ने मात दी थी. 

ये वही नेता थे जिनको साल 1971 के चुनाव में इंदिरा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. राजनारायण को साल 1977 के चुनाव में कुल 1 लाख 77 हजार 719 वोट मिले थे मतलब कुल वोटों का लगभग 52 फीसदी. इसके मुकाबले इंदिरा गांधी को 1 लाख 22 हजार 517 वोट मिले थे मतलब कुल मतों का लगभग 36 फीसदी.

रायबरेली से ही शुरू हुआ था इमरजेंसी का ‘महा’संग्राम

 साल 1971 के लोकसभा चुनाव की तब इंदिरा गांधी ने सयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को रायबरेली से 1 लाख 11 हजार 810 वोटों से मात दी थी. दूसरी ओर राजनारायण पूरी तरह आश्वस्त थे की ये चुनाव वो बड़े आराम से जीत जाएंगे पर जब वो चुनाव हार गए तो उन्होंने धांधली का अंदेशा जताते हुए अदालत का रुख किया था. 

इस मामले में इतिहास में पहली बार कोई प्रधानमंत्री अदालत में अपना पक्ष रखने गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल ने तब आदेश दिया था कि जब इंदिरा गांधी सुनवाई के लिए कोर्ट आएं तो कोई भी खड़ा नहीं होगा. ऐसा इसलिए क्यूंकि कोर्ट में सिर्फ न्यायमूर्ति के आने पर ही खड़ा हुआ जाता है. इस मामले में सुनवाई के बाद जस्टिस जगमोहन लाल ने इंदिरा गाँधी के खिलाफ फैसला सुनाया था और साल 1971 के चुनाव को रद्द कर दिया था. साथ ही साथ अदालत ने इंदिरा गाँधी पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया था. इलाहबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के कुछ ही दिनों के अंदर सारा देश इमरजेंसी कि गिरफ्त में आ गया था. 

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Nilesh Desai
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