Kolkata Rape Murder Case West Bengal New Rape Law Aparajita Bill Shivraj Singh Chouhan Asks Mamata Banerjee Will Sheikh Shahjahan also be punished

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Shivraj Singh On Aparajita Bill: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 31 साल की जूनियर डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले में भारी विरोध के बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने आज मंगलवार (03 अगस्त) को अपराजिता विधेयक पारित किया. ये संशोधन बलात्कार और बाल शोषण के लिए दंड को और अधिक कठोर बनाते हैं. मामले पर केंद्रीय कृषि मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सवाल किया है?

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “ममता दीदी में संवेदना नहीं है. वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई वीभत्स घटना से ध्यान भटकाने के लिए यह बिल लेकर आईं हैं. इस घटना के अपराधियों को फांसी की सजा मिले ही, लेकिन क्या इस कानून के तहत संदेशखाली के आरोपी शेख शाहजहां जैसे लोगों को भी फांसी दी जाएगी? ममता दीदी जवाब दें…”

‘संदेशखाली की बहनों की शिकायत पर कब होगी कार्रवाई’

शिवराज सिंह ने कहा, “मध्य प्रदेश ने इसको लेकर कानून तो बहुत पहले ही बना दिया था. 42 लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. दीदी ने दवाब में और आरजी कर कॉलेज में जो बेटी के साथ वीभत्स घटना हुई है उससे ध्यान भटकाने के लिए अब ये कानून लेकर आई हैं. दीदी ने पहले संवेदनशीलता क्यों नहीं दिखाई, ये कानून पहले क्यों नहीं लेकर आईं. मैं एक ही सवाल करना चाहता हूं कि आरजी कर घटना में जो लोग अपराधी हैं उन्हें तो सजा मिले ही लेकिन क्या शेख शाहजहां जैसे लोग भी फांसी की सजा पाएंगे? संदेशखाली में कितनी ही बहनों ने शिकायत की है. दीदी इस बात का भी जवाब दें.”

क्या है अपराजिता कानून?

विधेयक में हाल ही में शुरू की गई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं में संशोधन करने का प्रयास किया गया है. बीएनएस की धारा 64 में कहा गया है कि बलात्कार के दोषी को कम से कम 10 साल की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.

बंगाल के कानून में इसे संशोधित करके जेल की अवधि को “उस व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन के शेष समय और जुर्माना या मृत्यु” तक बढ़ा दिया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि यह जुर्माना पीड़िता के चिकित्सा व्यय और पुनर्वास लागत को पूरा करने के लिए उचित और उचित होगा.

अपराजिता विधेयक में बीएनएस की धारा 66 में संशोधन करने का भी प्रावधान है, जिसमें बलात्कार के कारण पीड़िता की मृत्यु होने या उसे “बेहोशी की हालत” में पहुंचाने पर दोषी के लिए दंड का प्रावधान है.

जबकि केंद्र के कानून में ऐसे अपराध के लिए 20 साल की जेल, आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान है, वहीं बंगाल विधेयक में कहा गया है कि दोषी को केवल मृत्युदंड मिलना चाहिए. सामूहिक बलात्कार के मामलों में दंड से संबंधित बीएनएस की धारा 70 में संशोधन करते हुए बंगाल के कानून ने 20 वर्ष की जेल अवधि के विकल्प को समाप्त कर दिया है और सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान किया है.

बंगाल के कानून में यौन हिंसा की शिकार महिला की पहचान सार्वजनिक करने से संबंधित मामलों में दंड को भी कड़ा किया गया है. इसके साथ ही कानून में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत बाल दुर्व्यवहार के मामलों में दंड को भी कठोर बनाया गया है. दंड को कठोर बनाने के अलावा, बंगाल के कानून में यौन हिंसा के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें और उनकी जांच के लिए टास्क फोर्स गठित करने का प्रावधान भी शामिल है.

ये भी पढ़ें: Aparajita Woman and Child Bill: बंगाल में दुष्कर्म की सजा होगी मौत! विधानसभा में ममता सरकार ने पेश किया बिल




Nilesh Desai
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