Kolkata Doctor Rape Murder Case Dr Koushik Lahiri said murdered kolkata Trainee doctor knew too much was silenced

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Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर के मामले की जांच सीबीआई कर रही है. इस केस में रोजाना नए-नए मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के सलाहकार डॉ. कौशिक लाहिरी ने रविवार (1 अगस्त) को कहा कि आरजी कर अस्पताल में कथित रूप से रेप और हत्या की शिकार पीड़िता “बहुत कुछ जानती थी और उसे चुप करा दिया गया.”

हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीच में, डॉ. कौशिक लाहिरी ने कहा, “उसने हमेशा यह बताने की कोशिश की कि वह किससे जूझ रही थी. वह अकेली नहीं थी. कई युवा और वरिष्ठ डॉक्टर इसी तरह के अपराधों से पीड़ित हैं. उनमें से ज्यादातर को चुप करा दिया जाता है. यह चुप्पी भी हिंसा है. इस लड़की ने अपनी चुप्पी तोड़ने की कोशिश की.”

जानिए क्या बोले डॉ. कौशिक लाहिरी?

इस दौरान डॉ. कौशिक लाहिरी ने कहा कि 9 अगस्त को जो कुछ हुआ, उस पर चर्चा करना “दुखद और शर्मनाक” है. जिस दिन 31 साल की पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था. उन्होंने कहा कि आरजी कर के चेस्ट विभाग की 31 साल की पीड़ित छात्रा 9 अगस्त को भयावह हालत में मिली, जाहिर तौर पर उसके साथ रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई.

डॉ. कौशिक लाहिरी ने कहा कि इसके बाद जो हुआ वह हैरान करने वाला और बिल्कुल अविश्वसनीय है. जहां सुबह करीब 10:10 बजे ताला पुलिस स्टेशन को सूचना दी गई कि आरजी कर अस्पताल में कोई बेहोशी की हालत में मिला है. इस पर डॉ लाहिरी ने कहा कि यह ‘बेहोशी’ पर एक प्रश्नचिह्न है. यह रिपोर्ट कौन कर रहा है?

डॉ. कौशिक लाहिरी ने आगे कहा कि करीब 10:50 बजे, किसी ने खुद को अस्पताल का हेड बताकर मृतका के पिता को जानकारी दी कि उनकी बेटी ने सुसाइड कर ली है. उस समय तक, वे पहले ही जान चुके थे कि यह आत्महत्या का मामला नहीं था. यह बिल्कुल अकल्पनीय है.

जानिए क्या होता है UD केस?

डॉ का कहना है कि यूडी केस अप्राकृतिक मौत से जुड़ा हुआ है, जो वास्तव में एक लावारिस शव है. मान लीजिए कि कोई ट्रेन या सड़क दुर्घटना हुई है, कोई शव है जो लावारिस है या किसी को मृतक की पहचान नहीं पता है. ऐसी स्थिति में, पुलिस यूडी केस दर्ज करती है.

डॉक्टर के मां-बाप को कैसे घुमाते रहे अस्पताल के अफसर

डॉ. लहरी ने आगे आरोप लगाया कि डॉक्टर के माता-पिता को सूचित किया गया और बिना किसी कारण के उन्हें तीन घंटे तक अस्पताल में बैठाया गया. माता-पिता को छोड़कर सभी को शव देखने की अनुमति दी गई. वहीं,  6:10 से 7:10 के बीच पोस्टमार्टम किया गया. 2023 के बाद सूर्यास्त के बाद ऑटोप्सी शायद ही कभी किया जाता है. यह नियम में है, और आप सरकारी व्यवस्था में ऐसा कर सकते हैं. 

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Nilesh Desai
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