हरियाणा में 5 अक्टूबर को ये तय हो जाएगा यहां की सत्ता पर कौन बैठने जा रहा है. सभी दलों की तरफ से पुरजोर प्रचार कर चुनाव में दम झोंका जा चुका है. फिलहाल हरियाणा चुनाव को लेकर ये कहा जा सकता है कि ये चुनाव लोग पहले ही लड़ चुके हैं. जब साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी के समर्थन से राज्य में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी, उसी वक्त लोगों ने मन बना लिया था कि अब इस सरकार के साथ नहीं जाना है.
एंटी इनकम्बैन्सी फैक्टर के चलते ही 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ 40 सीटें आयी थी और बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़कर जेजेपी ने 10 सीटें हासिल की थी, वो वापस बीजेपी के पास आ गई थी.
इसके बाद हरियाणा के लोगों में बीजेपी और जेजेपी के प्रति और ज्यादा रोष या कहें कि गुस्सा बना हुआ था. ऐसे में 2024 चुनाव का फैसला प्रदेश की जनता ने 2019 चुनाव में ही सुना दिया था. इसके बाद जब किसान आंदोलन हुआ, उस समय लोगों के मन में जो धारणाएं बनी हुईं थीं, उस आंदोलन ने उसको और प्रबल कर दिया. लोग चाहते थे कि इस सरकार से किसी तरह पीछा छुड़वाया जाए. ये सरकार इस बात से भली-भांति वाकिफ है.
हरियाणा चुनाव के अहम मुद्दे
बीजेपी अच्छे से जानती थी कि ये चुनाव उनके लिए बहुत ही कांटे का होने जा रहा है, क्योंकि लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी है. यही वजह थी कि मनोहर लाल खट्टर को 12 मार्च 2024 को सूबे के मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को नया सीएम बनाया गया.
लेकिन, रोष जनता में इस कदर व्याप्त हो चुका था कि बीजेपी को संभालना मुश्किल हो रहा था. मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का भी कुछ खास फायदा इस पूरे चुनाव में नहीं दिखाई दिया.
इस पूरे चुनाव में अगर मुद्दों की बात करें तो जवान का मुद्दा प्रमुख एजेंडा में से एक रहा है. जवान का मतलब एक तो हुआ फौज का जवान, जिसे आर्मी कहा जा सकता है. दूसरा वो जवान जो रोजगार की तलाश में भटक रहा है. यानी, बेरोजगारी का मुद्दा. मतलब अग्निवीर का मुद्दा, बेरोजगारी का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा है. हालांकि, सरकार की ओर से कहा गया है कि अभी उतनी बेरोजगारी नहीं है, जितनी कांग्रेस की ओर से बतायी जा रही है. ये सच है कि बेरोजगारी के चलते हरियाणा का युवा इस वक्त काफी परेशान है. तीसरा सूबे का सबसे बड़ा मुद्दा किसानों का है.
किसान-खिलाड़ियों का बड़ा मुद्दा
किसान लगातार आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार ने जिस तरह किसानों के साथ व्यवहार किया, जिस तरह उन्हें अलग-अलग नामों से संबोधित किया गया, उन्हें आतंकी तक कहा गया. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को शायद ये लगा होगा कि आने वाले समय में लोग भूल जाएंगे. लेकिन, लोग भूले नहीं हैं और हरियाणा चुनाव में जो सबसे बड़ा मुद्दा बना है, वो किसानों का बना है.
इसके अलावा, हरियाणा चुनाव में जो चौथा सबसे बड़ा मुद्दा बना वो है- खिलाड़ियों का. यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को भुनाते हुए जुलाना से वीनेश फोगाट को अपना उम्मीदवार बनाकर सियासी मैदान में उतार दिया. जुलाना वो सीट है, जहां पर कांग्रेस 1967 से लेकर अब तक सिर्फ 3 चुनाव ही जीत पायी. जुलाना सीट पर इस बार वीनेश फोगाट की जीत की संभावनाएं प्रबल दिखाई दे रही है. इसका मतलब है कि हरियाणा में बीजेपी जाती हुई दिख रही है और कांग्रेस की लहर देखी जा सकती है.
बीजेपी ने जब टिकट का एलान किया तो जिस तरह से लोगों ने बगावती तेवर दिखाए और जिस तरह से बीजेपी के भीतर बगावत-फूट देखने को मिली, उसने भी लोगों के मन में एक धारणा बनायी है.
लोगों में यूं ही नहीं बनी धारणा
दरअसल, इस पूरे चुनाव में ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस कहीं न कहीं बढ़त लेती हुई दिखाई दे रही है. लेकिन, इसका मतलब ये भी नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने बहुत ज्यादा मेहनत की है. इसका ये मतलब नहीं है कि कांग्रेस ने ग्राउंड पर संघर्ष किया था. लोगों के मन में ये था कि बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है. पिछली बार भी जब 2019 के चुनाव हुए थे, उस वक्त जनता के मन में ये था कि भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करना है. इसलिए उन्हें विकल्प के तौर पर जेजेपी दिखी थी और लोगों ने जननायक जनता पार्टी को वोट किया था.
लेकिन, जेजेपी, बीजेपी के साथ चली गई और अब जननायक जनता पार्टी की जगह लोगों को भरोसा कांग्रेस की तरफ दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस इस चुनाव में बढ़त लेते हुए दिख रही है और ऐसा लग रहा है कि शायद कांग्रेस सरकार भी बना ले. लेकिन, ये तय है कि इस सरकार में एंटी इनकम्बैन्सी जो दूसरा टर्म शुरु हुआ था, उसके साथ ही शुरू हो गई थी.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]