S. Jaishankar on India-China Relation: पिछले कुछ साल से भारत और चीन के रिश्तों में काफी कड़वाहट चल रही है. समय-समय पर बॉर्डर पर तनाव की खबरें सामने आती रहती हैं. इन सबके बीच अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के साथ रिश्तों पर बड़ी बात कही है.
एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टिट्यूट में एशिया सोसायटी के दौरान कहा, “चीन के साथ हमारा एक कठिन इतिहास रहा है… चीन के साथ हमारे स्पष्ट समझौतों के बावजूद, हमने कोविड के बीच में देखा कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सेनाएं भेजीं. यह संभावना थी कि कोई दुर्घटना होगी, और ऐसा हुआ भी. इसकी वजह से सीमा पर दोनों की सेनाओं के बीच झड़प हुई, और दोनों तरफ़ से कई सैनिक मारे गए. एक तरह से इसने रिश्ते को प्रभावित किया.”
‘भारत-चीन के बीच पैट्रोलिंग के मुद्दों को हल करने की जरूरत’
एस. जयशंकर ने आगे कहा, जब मैंने कहा कि इसका 75% हल हो गया है, तो यह केवल सैनिकों के संघर्ष का मामला है… तो इससे यह साफ है कि यह समस्या का एक हिस्सा है… इसलिए हम संघर्ष के बिंदुओं में सैन्य टकराहट के अधिकांश मामलों को हल करने में सक्षम हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच पैट्रोलिंग यानी गश्त के कुछ मुद्दों को हल करने की जरूरत है… अगला कदम डी-एस्केलेशन होगा.”
#WATCH | New York: During the Asia Society at the Asia Society Policy Institute, EAM Dr S Jaishankar says, “We have a difficult history with China… Despite the explicit agreements we had with China, we saw in the middle of covid that the Chinese moved large number of forces in… pic.twitter.com/vNyfWTZrJY
— ANI (@ANI) September 24, 2024
‘एशिया परिवर्तन के अग्रणी छोर पर है’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि एक “बहुध्रुवीय” यानी मल्टीपोलर दुनिया में जहां वैश्विक व्यवस्था महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रही है, एशिया और दुनिया दोनों का भविष्य भारत और चीन के बीच संबंधों पर टिका है. उन्होंने कहा कि एशिया परिवर्तन के अग्रणी छोर पर है और भारत उस परिवर्तन का नेतृत्व करने वालों में से एक है, लेकिन वह परिवर्तन आज वैश्विक व्यवस्था के ताने-बाने को बढ़ा रहा है. मुझे लगता है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं. एक तरह से, आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहुध्रुवीय होना है, तो एशिया को बहुध्रुवीय होना होगा और इसलिए, यह संबंध न केवल एशिया के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि इस तरह से, शायद दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित करेगा.
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