Bhagat Singh 115th Birth Anniversary: देश को आजादी दिलाने में कई क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया, लेकिन इस लड़ाई में कुछ क्रांतिकारी इतिहास के पन्नों में अपनी अमिट छाप छोड़ गए. इन्हें किसी भी सूरत में भुलाया नहीं जा सकता. इन्हीं में से एक थे शहीद भगत सिंह. वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जो महज 23 साल की उम्र में हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए और देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी. आज भगत सिंह का जन्मजयंती है.
देश के महान क्रांतिकारी भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान वाले पंजाब में बंगा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था. बचपन से ही उन्होंने घर में ऐसा माहौल देखा था, जिसकी वजह से उनके अंदर देशभक्ति की भावना उत्पन्न हुई. भगत सिंह ने शुरू से ही अंग्रेजों को भारतवासियों पर अत्याचार करते हुए देखा था.
देश की आजादी से था प्यार
भगत सिंह को अपने देश से इतना प्यार था कि एक बार जब उनकी शादी की चर्चा घर में चली तो उन्होंने कहा था कि अगर मेरी शादी अंग्रेजों के शासनकाल में होती है तो मेरी दुल्हन केवल मौत होगी. शहीद भगत सिंह के बारे में एक किस्सा ये भी मशहूर है कि जब वो जेल में बंद थे तो उनकी मां उनसे मिलने पहुंचीं तो वो जोर-जोर से हंस रहे थे. वे कहते थे कि ये अंग्रेज भले ही मुझे मार देंगे, लेकिन मेरे विचारों को कभी नहीं मार पाएंगे. वो भले ही मुझे मार देंगे, लेकिन मेरी आत्मा को नहीं मार पाएंगे.
भगत सिंह के किस्से
इसके अलावा जलियावाला बाग नरसंहार ने भगत सिंह को बहुत बड़ा धक्का दिया. इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी. घटना वाले दिन वो अपने स्कूल में थे. स्कूल से बाहर आने के बाद सीधे वो उसी जगह पर पहुंचे जहां ये नरसंहार हुआ था. वहां से उन्होंने शहीद हुए भारतीयों के खून से सनी मिट्टी बोतल में भरी और घर लेकर आ गए. वो हर दिन इसकी पूजा किया करते थे.
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