Bahraich Wolf Attack UP Forest Minister Arun Saxena CM Yogi Adityanath Why Wolves Still Not Catch

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Wolf Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. घरों में सोए हुए बच्चों को खींचकर ले जाना आम होता जा रहा है. बहराइच में जिन 10 लोगों की मौत भेड़ियों के हमलों की वजह से हुई है, उनमें 9 बच्चे शामिल हैं. भेड़ियों के डर का आलम ये है कि लोग सूरज ढलते ही घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. यहां हैरानी वाली बात ये है कि यूपी के वन मंत्री अरुण सक्सेना का कहना है कि हालात पिछले साल की तुलना में ठीक हैं, जबकि लोग डर के मारे अब भगवान की शरण में हैं.

बहराइच के गांवों में मंगलवार (3 सितंबर) को लोगों को संकटमोचक भगवान हनुमान की अराधना करते हुए देखा गया. गांव वालों को भेड़िए के संकट से छुटकारा दिलाने के लिए अब बजरंग बली का ही भरोसा रह गया है. लोगों का सिस्टम के प्रति भरोसा खत्म होता जा रहा है. बहराइच के 35 से ज्यादा गांवों के करीब 60 से 80 हजार लोग हर रात को कयामत की रात की तरह गुजार रहे हैं. उन्हें डर है कि किसी भी पल भेड़िये की दस्तक होगी और वो मौत की नई कहानी लिख देगा. 

वन मंत्री भेड़ियों पर दे रहे अजीबोगरीब बयान

भेड़ियों के आतंक के बीच उत्तर प्रदेश के वन मंत्री अरुण सक्सेना मानने को तैयार नहीं हैं कि यूपी में आदमखोर से इमरजेंसी वाले हालात पैदा हो गए हैं. एक कार्यक्रम में शामिल होने बिजनौर पहुंचे वन मंत्री से जब भेड़ियों के आतंक को लेकर सवाल हुआ तो उन्होंने कहा, “पिछले साल के मुकाबले इस बार स्थिति बेहतर है. पिछले साल इससे भी ज्यादा खराब स्थिति थी.” वन मंत्री इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं कि बहराइच में लोगों को किन मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. 

बहराइच के अलग-अलग गांवों में मातम पसरा हुआ है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि यूपी सरकार के मंत्रियों तक को जमीन पर हालात का पता नहीं है. उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर कहते हैं कि एक हफ्ते से कोई घटना हुई ही नहीं है. इसके उलट स्थानीय बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह का कहना है कि पिछले 20 साल में ऐसा आतंक कभी देखने को नहीं मिला है. पिछले साल सिर्फ भेड़िये के हमले की दो घटनाएं हुई थीं, जिसमें एक शख्स की लाश बरामद हुई थी.

हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यूपी सरकार ने भेड़ियों को पकड़ने के लिए टीमें लगाई हुई हैं. मगर अभी तक वन विभाग की टीम के हाथ खाली ही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि अगर जरूरत पड़ती है तो भेड़ियों को गोली मार दी जाए. लेकिन सवाल ये है कि तय कैसे होगा कि अब भेड़िए को गोली मारने की जरूरत है? डीएम के पास ऐसा कोई आदेश नहीं आया है? वन विभाग टीम ने गोली मारने की तैयारी की ही नहीं है. 

वन मंत्री ने भी भेड़ियों को गोली मारने की बात की

जमीनी स्थिति की समीक्षा करने के लिए मंगलवार को पीलीभीत पहुंचे वन मंत्री ने कहा कि ड्रोन कैमरों द्वारा छह भेड़ियों को देखा गया और उनमें से चार को पकड़ लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद हमले जारी हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए, भेड़ियों को गोली मारने का सरकार का आदेश आवश्यक लगता है, क्योंकि लगातार हो रहे हमलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. भेड़ियों को हर हाल में पकड़ने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

भेड़ियों से सुरक्षा के लिए जुटे सरकारी कर्मचारी

लोगों की भेड़ियों से सुरक्षा के लिए बहराइच के महसी के 92 और शिवपुर के 18 गांवों में सरकारी कर्मचारी रात को पहरेदारी करेंगे. शाम 7 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक कर्मचारियों की गांवों में ड्यूटी लगाई जाएगी. ड्यूटी में ग्राम पंचायत सहायक, ग्राम रोजगार सेवक और ग्राम सचिव जैसे लोग शामिल हैं. कर्मचारियों की नाइट ड्यूटी की मॉनिटरिंग के लिए भी अलग-अलग विभाग के अधिकारी लगाए गए हैं. 

क्या सरकार को नहीं मालूम भेड़ियों की सही संख्या?

दरअसल, भेड़िया जब एक बार इंसान का शिकार कर लेता है, तो उसे इंसान की खुशबू अपनी तरफ खींचती है. माना जाता है कि भेड़िया एक बार शिकार कर लेता है तो तीन दिन तक उसका पेट भरा रहता है और उसके बाद ही वो शिकार करने के लिए निकलता है. अगर ये बात सच है तो फिर रविवार के दिन ही भेड़िए ने एक बच्ची को मारा था. उसके दोनों हाथ खा गया था. बावजूद इसके सोमवार को भेड़िए ने फिर से अटैक किया. 

सवाल ये है कि बहराइच के गांवों में सिर्फ दो भेड़िए ही घूम रहे हैं या फिर भेड़ियों की सही संख्या का वन विभाग और प्रशासन को पता ही नहीं है. सरकार की तरफ से बताया गया है कि भेड़ियों की संख्या छह है, जिसमें से चार को पकड़ लिया गया है. चिंता की बात ये है कि अभी तो वन विभाग की टीम भेड़िए से ही निपट नहीं पा रही है और अब लखीमपुर खीरी में पहले बाघ दिखाई दिया और अब गन्ने के खेत में तेंदुआ दिखाई दिया है. 

अब तक क्यों नहीं पकड़े गए आदमखोर भेड़िये?

माना जा रहा है कि भेड़िये शिकार करने के बाद छिप जा रहे हैं और सिर्फ रात में ही निकल रहे हैं. इसकी वजह से उन्हें ढूंढना मुश्किल हो जा रहा है. दिन के समय तो उजाले में ड्रोन के जरिए भेड़ियों की तलाश की जा रही है, मगर फसलों के बीच या फिर पेड़ों के नीचे गड्ढा बनाकर वे उसके भीतर छिप रहे हैं. रात होने के वक्त जब वे बाहर निकल रहे हैं तो उन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता जा रहा है. कई बार वे रात में लोगों की आवाज सुनकर भी भाग जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: आदमखोर भेड़ियों के ताबड़तोड़ अटैक के बीच यूपी के वन मंत्री का बेतुका बयान, किया ये दावा

 


Nilesh Desai
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