Ajmer Sharif Dargah built on Shiv Temple pieces Garbhgrah evidence in Basement Hindu Sena Claims in Rajastha COurt

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अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि यह पहले शिव मंदिर था और आज भी मंदिर के अवशेष यहां मौजूद हैं. हिंदू पक्ष ने कहा है कि यहां दरगाह के गुंबद में मंदिर के टुकड़े मौजूद हैं. उनका कहना है कि दरगाह को मंदिर को नष्ट कर उसके अवशेषों पर बनाया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए और दरगाह समिति के अनाधिकृत कब्जे को नष्ट किया जाए.

याचिका में दावा किया गया है कि 13वीं शताब्दी के सूफी संत का सफेद मकबरा बनाए जाने से पहले वहां एक मंदिर था. राजस्थान कोर्ट ने बुधवार (27 नवंबर, 2024) को याचिका पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को नोटिस जारी किया है. कोर्ट 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई करेगा. आइए जानते हैं कि याचिका में हिंदू पक्ष ने क्या-क्या कहा है-

  • तीन वकीलों ने हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में विवरण दिया. एडवोकेट योगेश सुरोलिया ने कहा कि कानूनी टीम ने कोर्ट में पूर्व न्यायिक अधिकारी और शिक्षाविद हर बिलास सरदार की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव की कॉपी जमा की थी, जिसमें शिव मंदिर के अवशेषों का जिक्र है, जिन पर दरगाह का निर्माण किया गया था.
  • दूसरे वकील राम स्वरूप बिश्नोई ने कहा कि कोर्ट को यह बताया गया कि मंदिर को नष्ट किए जाने तक वहां हर पूजा-पाठ और दैनिक रीतिरिवाज किए जाते थे.
  • तीसरे वकील विजय शर्मा ने एएसआई सर्वे की मांग की ताकि याचिकाकर्ता के इस दावे का पता लगाया जा सके कि दरगाह के गुंबद में मंदिर के अवशेष आज भी मौजूद हैं और बेसमेंट में गर्भगृह की उपस्थित के सबूत भी हैं.
  • हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सितंबर में अजमेर दरगाह को लेकर याचिका दाखिल की थी, लेकिन क्षेत्राधिकार संबंधी विवाद के कारण सुनवाई शुरू करने में देरी हुई. तब जिला और सेशन जज ने अजमेर मुनसिफ कोर्ट (पश्चिम) को याचिका ट्रांसफर कर दी थी.
  • वकील ने कहा कि 38 पेजों की याचिका में कई ऐसे तथ्य हैं, जो बताते हैं कि वहां पहले से शिव मंदिर मौजूद था. ज्ञानवापी केस की तरह इस मामले को खारिज करने के लिए भी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 लागू नहीं किया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के लिए भी करीब दो साल पहले ऐसी ही याचिका दाखिल की गई थी. कई हिंदू वादियों ने याचिका में तर्क दिया था कि मंदिर को नष्ट करके मस्जिद का निर्माण किया गया था. कोर्ट के आदेश पर एएसआई वहां सर्वे कर चुका है. इसी तरह मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि पर भी विवाद चल रहा है. यहां मौजूद ईदगाह की जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद है.

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Nilesh Desai
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