AFSPA In Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (एफएसपीए) हटाने की चर्चा फिर एक बार जोर पकड़ने लगी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि क्या केंद्र सरकार इसे हटाने को लेकर गंभीर है या फिर चुनाव के सीजन में एक जुमला चला दिया है.
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “जहां तक AFSPA का सवाल है या फिर नागरिकों को बाहर निकालने की बात है, यह मांगे जम्मू-कश्मीर के लोगों की शुरूआत से रही हैं और PDP ने हमेशा इसकी वकालत की है. भाजपा के साथ गंठबंधन के बाद हमारी प्रथामिकता रही थी कि जम्मू-कश्मीर के हालात ठीक होने के बाद AFSPA को खत्म करना और सुरक्षा बलों को भी नागरिक क्षेत्र से बाहर निकालना चाहिए, अब गृह मंत्री की ओर से यह बात कही जा रही है तो हम कहेंगे कि देर आए दुरुस्त आए लेकिन यह बात इन्होंने चुनाव के समय की है, तो क्या यह होना तय है या फिर यह जुमला है?”
अमित शाह के बयान के बाद घाटी में गर्म हुआ सियासी माहौल
दरअसल, अमित शाह ने एक कश्मीरी चैनल से बातचीत करते हुए कहा था, “हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और राज्य की कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है. पहले जम्मू-कश्मीर की पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वो महत्वपूर्ण ऑपरेशन्स को लीड कर रही है.’ एएफएसपीए को हटाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हम इसको हटाने पर भी विचार करेंगे. हम कश्मीर के युवाओं से बातचीत करेंगे न कि उनक संगठनों से जिनके तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं.’
जम्मू-कश्मीर में एफएसपीए का विरोध
घाटी में लंबे समय से एएफएसपीए का विरोध किया जा रहा है. राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगों की भी मांग है कि जम्मू-कश्मीर में जो सेना को विशेष अधिकार दे रखे हैं उन्हें हटा देना चाहिए. पहले की सरकारों का कहना था कि जम्मू-कश्मीर में ऐसे हालात नहीं हो पाए हैं कि एएफएसपीए को हटाया जा सके. साल 2019 के बाद से हालात बदले हैं और इसीलिए सरकार एएफएसपीए को हटाने पर विचार करने की बात कह रही है.
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