
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ Updated Wed, 14 Aug 2019 01:02 AM IST
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पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस को सवर्ण और मुस्लिम मतदाताओं के बीच खुद को भाजपा के विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करना चाहिए। देर-सवेर सवर्ण भी भाजपा से असंतुष्ट होकर कांग्रेस में आएंगे। इसलिए पार्टी नेतृत्व ने प्रियंका को यूपी में सक्रियता बढ़ाने के लिए कहा है। यही वजह है कि सोनभद्र का नरसंहार हो या फिर उन्नाव का रेपकांड, प्रियंका संघर्ष का कोई भी बड़ा मुद्दा नहीं छोड़ रही हैं।
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लोकसभा में प्रतिनिधित्व के लिहाज से कांग्रेस यूपी में करीब-करीब साफ है। सिर्फ रायबरेली की सीट ही उसके पास है, जहां से अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी सांसद हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस काफी कमजोर स्थिति में रही। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि यूपी में कांग्रेस को अपने दम पर खड़े किए बिना केंद्र की सत्ता पाना मुमकिन नहीं है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अब यूपी में किसी भी चुनाव में सपा या बसपा से कोई समझौता नहीं करेगी। उसका प्रयास रहेगा कि ये दोनों दल यूपी में शून्य पर पहुंचें, ताकि आम मतदाता भाजपा के विकल्प के तौर पर कांग्रेस को देखने लगे।